एक विदेशी महिला ने विवेकानंद से कहा – मैं आपसे शादी करना चाहती हूँ”।
विवेकानंद ने पूछा- “क्यों देवी ? पर मैं तो ब्रह्मचारी हूँ”।
महिला ने जवाब दिया -“क्योंकि मुझे आपके जैसा ही एक पुत्र चाहिए, जो पूरी दुनिया में मेरा नाम रौशन करे और वो केवल आपसे शादी करके ही मिल सकता है मुझे”।
विवेकानंद कहते हैं – “इसका और एक उपाय है”
विदेशी महिला पूछती है -“क्या”?
विवेकानंद ने मुस्कुराते हुए कहा -“आप मुझे ही अपना पुत्र मान लीजिये और आप मेरी माँ बन जाइए ऐसे में आपको मेरे जैसा पुत्र भी मिल जाएगा और मुझे अपना ब्रह्मचर्य भी नही तोड़ना पड़ेगा”
महिला हतप्रभ होकर विवेकानंद को ताकने लगी और रोने लग गयी,
ये होती है महान आत्माओ की विचार धारा ।
पूरे समुंद्र का पानी भी एक जहाज को नहीं डुबा सकता, जब तक पानी को जहाज अन्दर न आने दे।
इसी तरह दुनिया का कोई भी नकारात्मक विचार आपको नीचे नहीं गिरा सकता, जब तक आप उसे अपने अंदर आने की अनुमति न दें।
Nice story.keep up.
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